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Tuesday, 28 February 2017
siddiquiahmadraza
मेडिकल रिसर्च कहती है कि,
दिल पूरे जिस्म को खून सप्लाई करता है, लेकिन दिमाग दिल से ऊपर होने की वजह से खून पूरे शरीर से दिमाग तक नहीं पहुँचता, और यह कमी दिमाग की कमजोरी और डिप्रेशन की वजह बनती है, अगर इन्सान दिन में एक बार भी ऐसी पोजीशन में आये जैसे उसका दिमाग उसके दिल से नीचे हो, जैसे की मुसलमान सजदा करता है, तो खून सही तरह से दिमाग तक पहुँचता है, और उसे ताकतवर और तरोताज़ा रखता है।
तो तुम अपने परवरदिगार की कौन कौनसी नैमतो को झुठलाओगे....सुर-ए-रेहमान
नमाज़ जगह बदल बदल कर पढ़नी चाहिए क्योकि ज़मीन का वो हिस्सा हमारा गवाह बन जाता है और आख़िरत में मग़फिरत का ज़रिया बन जाएगा !
अच्छी बात बताने से आमाल में ३० लाख नेकियां लिख दी जाती ह कयामत के दिन इंसान एक एक नेकी को तरसेगा
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Is kavita ko sabhi groups me send karen please.....Ahmad Raza Siddiqui
☝एक बार इस कविता को
💘दिल से पढ़िये
😋शब्द शब्द में गहराई है...
⛺जब आंख खुली तो अम्मा की
⛺गोदी का एक सहारा था
⛺उसका नन्हा सा आंचल मुझको
⛺भूमण्डल से प्यारा था
🌹उसके चेहरे की झलक देख
🌹चेहरा फूलों सा खिलता था
🌹उसके स्तन की एक बूंद से
🌹मुझको जीवन मिलता था
👄हाथों से बालों को नोंचा
👄पैरों से खूब प्रहार किया
👄फिर भी उस मां ने पुचकारा
👄हमको जी भर के प्यार किया
🌹मैं उसका राजा बेटा था
🌹वो आंख का तारा कहती थी
🌹मैं बनूं बुढापे में उसका
🌹बस एक सहारा कहती थी
🌂उंगली को पकड. चलाया था
🌂पढने विद्यालय भेजा था
🌂मेरी नादानी को भी निज
🌂अन्तर में सदा सहेजा था
🌹मेरे सारे प्रश्नों का वो
🌹फौरन जवाब बन जाती थी
🌹मेरी राहों के कांटे चुन
🌹वो खुद गुलाब बन जाती थी
👓मैं बडा हुआ तो कॉलेज से
👓इक रोग प्यार का ले आया
👓जिस दिल में मां की मूरत थी
👓वो रामकली को दे आया
🌹शादी की पति से बाप बना
🌹अपने रिश्तों में झूल गया
🌹अब करवाचौथ मनाता हूं
🌹मां की ममता को भूल गया
☝हम भूल गये उसकी ममता
☝मेरे जीवन की थाती थी
☝हम भूल गये अपना जीवन
☝वो अमृत वाली छाती थी
🌹हम भूल गये वो खुद भूखी
🌹रह करके हमें खिलाती थी
🌹हमको सूखा बिस्तर देकर
🌹खुद गीले में सो जाती थी
💻हम भूल गये उसने ही
💻होठों को भाषा सिखलायी थी
💻मेरी नीदों के लिए रात भर
💻उसने लोरी गायी थी
🌹हम भूल गये हर गलती पर
🌹उसने डांटा समझाया था
🌹बच जाउं बुरी नजर से
🌹काला टीका सदा लगाया था
🏯हम बडे हुए तो ममता वाले
🏯सारे बन्धन तोड. आए
🏯बंगले में कुत्ते पाल लिए
🏯मां को वृद्धाश्रम छोड आए
🌹उसके सपनों का महल गिरा कर
🌹कंकर-कंकर बीन लिए
🌹खुदग़र्जी में उसके सुहाग के
🌹आभूषण तक छीन लिए
👑हम मां को घर के बंटवारे की
👑अभिलाषा तक ले आए
👑उसको पावन मंदिर से
👑गाली की भाषा तक ले आए
🌹मां की ममता को देख मौत भी
🌹आगे से हट जाती है
🌹गर मां अपमानित होती
🌹धरती की छाती फट जाती है
💧घर को पूरा जीवन देकर
💧बेचारी मां क्या पाती है
💧रूखा सूखा खा लेती है
💧पानी पीकर सो जाती है
🌹जो मां जैसी देवी घर के
🌹मंदिर में नहीं रख सकते हैं
🌹वो लाखों पुण्य भले कर लें
🌹इंसान नहीं बन सकते हैं
✋मां जिसको भी जल दे दे
✋वो पौधा संदल बन जाता है
✋मां के चरणों को छूकर पानी
✋गंगाजल बन जाता है
🌹मां के आंचल ने युगों-युगों से
🌹भगवानों को पाला है
🌹मां के चरणों में जन्नत है
🌹गिरिजाघर और शिवाला है
🌹हर घर में मां की पूजा हो
🌹ऐसा संकल्प उठाता हूं
🌹मैं दुनियां की हर मां के
🌹चरणों में ये शीश झुकाता हूं...
जितना आप अपनी माँ को प्यार करते हैं उतना शेयर करें
SiddiquiGruophttp://fctdth.blogspot.com
I love Allah i love Allah
i love Allah
Delete mat krna
10 logon ko send krna
Abi achi khabr milay gi.
100% Guarantee hai.
Azmaa lo.
لآ اِلَهَ اِلّا اللّهُ مُحَمَّدٌ رَسُوُل اللّهِ aapko is kalma ki kasam,tum yeh sms 11 logo ko bej do tumhari sabse badi khwahish puri hogi......
SiddiquiGroup.com
एक ईसाई बादशाह ने “हजरत उमर रज़ी अल्लाहु अन्हु” चार कठिन सवाल पूछे , पढ़िए कैसे जवाब दिया उस बादशाह को
चार सवाल चार जवाब |
एक निसरानी ( ईसाई ) बादशाह ने चार सवाल लिख कर हजरत उमर रज़ी अल्लाहु अन्हु के पास भेजा।
उनके जवाब आसमानी किताबों में से देने का मुतालबा किया।
सवाल ये हैं
1: एक माँ के पेट से दो बच्चे एक ही दिन एक ही वक्त पैदा हुए।। फिर दोनों का इंतिकाल भी एक ही दिन हुआ एक भाई की उम्र सो साल बड़ी और दुसरे की उम्र सौ साल छोटी हुई। ये कौन थे…? और ऐसा किस तरह हुआ…?
2: वो कौन सी जमीन है जहां शुरुआत से कयामत तक सिर्फ एक बार सूरज की किरने लगीं।।। न पहले कभी लगीं थी न अब कभी लगेंगी….?
3: वो कौन सा कैदी है जिसकी कैदखानें में सांस लेने की इजाजत नहीं और वो बगैर सांस लिए जिंदा रहता है….?
4: वो कौन सी कबर है जिसका मुर्दा भी जिंदा और कबर भी जिंदा और कबर अपने अंदर दफन हुए को सैर कराती फिरती थी फिर वो मुर्दा कबर से बाहर निकल कर ज़िंदा रहा और कुछ दिनों बाद वफात पाया…?
हजरत उमर रज़ी अल्लाहु अन्हु ने हजरत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़ी अल्लाहु अन्हु को बुलाया और फरमाया इन सवालों के जवाब लिख दें।
हज़रत अब्दुल्लाह राज़ी अल्लाहु अन्हु ने तहरीरें कलमबंद कीं !
जवाब
1: जो दोनों भाई एक ही दिन पैदा हुए और एक ही दिन वफात पाई और उनकी उम्र में सौ साल का फर्क़ है वो दोनों भाई हज़रत अज़ीज़ और हज़रत उज़ैर अलैहिस्सलाम हैं।।।
ये दोनों भाई एक ही दिन एक ही माँ के पेट से पैदा हुए और एक ही दिन वफात पाई ।। लेकिन अल्लाह तआला ने अपनी कुदरत दिखाने के लिए उज़ैर अलैहिस्सलाम को पुरे सौ साल मारे रखा । सौ साल मौत के बाद अल्लाह ने जिंदगी बख्शी ।। सूरह आल-इमरान में ये ज़िक्र मौजूद है।। वो घर गए और कुछ दिन जिंदा रहकर मौत आई।
दोनों भाइयों की वफात भी एक दिन हुई इसलए इसलिए उज़ैर अलैहिस्सलाम की ऊम्र अपने भाई से छोटी हुई और हज़रत अज़ीज़ अलैहिस्सलाम की बड़ी।
2: वो जमीन समुन्द्र की खाड़ी कुलज़िम की तह है जहां फिरऔन मरदूद गर्क हुआ था हजरत मूसा अलैहिस्सलाम के मोजिज़े ( चमत्कार ) से समुन्द्र सुखा था और हुक्म इलाही से सूरज ने बहुत जल्द सुखाय था
हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम अपनी कौम बनी इसराइल के साथ पार चले गए और जब फिरऔन दाखिल हुआ तो डूब गया उस जमीन पर सूरज एक बार लगा और अब कयामत तक नहीं लगेगा।
3: जिस कैदी को कैदखाने में सांस लेने की इजाज़त नहीं और वो बगैर सांस लिए ज़िंदा रहता है वो बच्चा अपनी माँ के पेट में कैद होता है ‘ अल्लाह तआला ने उसके सांस लेने का ज़िक्र नहीं किया और न वो सांस लेता है।
4: कबर जिसका मुर्दा भी जिंदा और कबर भी जिंदा वो मुर्दा हजरत युनुस अलैहिस्सलाम थे और उनकी कबर मछली थी जो उनको पेट में रखे जगह जगह फिरती थी । हज़रत युनुस अलैहिस्सलाम अल्लाह के हुक्म से मछली के पेट से बाहर आकर कुछ साल ज़िंदा रहे फिर वफात पाई।।। और लोगों तक पहुंचाएं।
SUBHAN ALLAHआप सल्लाल्लाहों अलैह वसल्लम ने फ़रमाया : जिस ने मेरी एक हदीस सुनी और दूसरों तक पहुँचा दी तो उसके लिए क़यामत के रोज़ मेरी शफात वाजिब होगी (सुबहान अल्लाह ) हुज़ूर सलल्लाहू अलैह वसल्लम ने फ़रमाया “बेनूर हो जाये उसका चेहरा जो कोई मेरी हदीस को सुन कर आगे न पोहचाए !
हज़रात अली
ने फ़रमाया हमेशा समझोता करना सीखो क्योंकि थोडा सा झुक जाना किसी रिश्ते का हमेशा के लिए टूट जाने से बेहतर है इस पर , आप
सल्लल्लाहु अलैहि वस्सलाम ने फ़रमाया अगर झुक जाने से तुम्हारी इज्जत घट जाये तो क़यामत के दिन मुझसे ले लेना
आप
सल्लाहु वलैहि वस्सलाम
ने फरमाया : अल्लाह उस के चेहरे को रोशन करे जो हदीस सुन के आगे पहुँचाता है
सबसे पहले सेंड करदो,
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