Tuesday 28 February 2017

Is kavita ko sabhi groups me send karen please.....Ahmad Raza Siddiqui ☝एक बार इस कविता को 💘दिल से पढ़िये 😋शब्द शब्द में गहराई है... ⛺जब आंख खुली तो अम्‍मा की ⛺गोदी का एक सहारा था ⛺उसका नन्‍हा सा आंचल मुझको ⛺भूमण्‍डल से प्‍यारा था 🌹उसके चेहरे की झलक देख 🌹चेहरा फूलों सा खिलता था 🌹उसके स्‍तन की एक बूंद से 🌹मुझको जीवन मिलता था 👄हाथों से बालों को नोंचा 👄पैरों से खूब प्रहार किया 👄फिर भी उस मां ने पुचकारा 👄हमको जी भर के प्‍यार किया 🌹मैं उसका राजा बेटा था 🌹वो आंख का तारा कहती थी 🌹मैं बनूं बुढापे में उसका 🌹बस एक सहारा कहती थी 🌂उंगली को पकड. चलाया था 🌂पढने विद्यालय भेजा था 🌂मेरी नादानी को भी निज 🌂अन्‍तर में सदा सहेजा था 🌹मेरे सारे प्रश्‍नों का वो 🌹फौरन जवाब बन जाती थी 🌹मेरी राहों के कांटे चुन 🌹वो खुद गुलाब बन जाती थी 👓मैं बडा हुआ तो कॉलेज से 👓इक रोग प्‍यार का ले आया 👓जिस दिल में मां की मूरत थी 👓वो रामकली को दे आया 🌹शादी की पति से बाप बना 🌹अपने रिश्‍तों में झूल गया 🌹अब करवाचौथ मनाता हूं 🌹मां की ममता को भूल गया ☝हम भूल गये उसकी ममता ☝मेरे जीवन की थाती थी ☝हम भूल गये अपना जीवन ☝वो अमृत वाली छाती थी 🌹हम भूल गये वो खुद भूखी 🌹रह करके हमें खिलाती थी 🌹हमको सूखा बिस्‍तर देकर 🌹खुद गीले में सो जाती थी 💻हम भूल गये उसने ही 💻होठों को भाषा सिखलायी थी 💻मेरी नीदों के लिए रात भर 💻उसने लोरी गायी थी 🌹हम भूल गये हर गलती पर 🌹उसने डांटा समझाया था 🌹बच जाउं बुरी नजर से 🌹काला टीका सदा लगाया था 🏯हम बडे हुए तो ममता वाले 🏯सारे बन्‍धन तोड. आए 🏯बंगले में कुत्‍ते पाल लिए 🏯मां को वृद्धाश्रम छोड आए 🌹उसके सपनों का महल गिरा कर 🌹कंकर-कंकर बीन लिए 🌹खुदग़र्जी में उसके सुहाग के 🌹आभूषण तक छीन लिए 👑हम मां को घर के बंटवारे की 👑अभिलाषा तक ले आए 👑उसको पावन मंदिर से 👑गाली की भाषा तक ले आए 🌹मां की ममता को देख मौत भी 🌹आगे से हट जाती है 🌹गर मां अपमानित होती 🌹धरती की छाती फट जाती है 💧घर को पूरा जीवन देकर 💧बेचारी मां क्‍या पाती है 💧रूखा सूखा खा लेती है 💧पानी पीकर सो जाती है 🌹जो मां जैसी देवी घर के 🌹मंदिर में नहीं रख सकते हैं 🌹वो लाखों पुण्‍य भले कर लें 🌹इंसान नहीं बन सकते हैं ✋मां जिसको भी जल दे दे ✋वो पौधा संदल बन जाता है ✋मां के चरणों को छूकर पानी ✋गंगाजल बन जाता है 🌹मां के आंचल ने युगों-युगों से 🌹भगवानों को पाला है 🌹मां के चरणों में जन्‍नत है 🌹गिरिजाघर और शिवाला है 🌹हर घर में मां की पूजा हो 🌹ऐसा संकल्‍प उठाता हूं 🌹मैं दुनियां की हर मां के 🌹चरणों में ये शीश झुकाता हूं... जितना आप अपनी माँ को प्यार करते हैं उतना शेयर करें

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KhaiF Parsa Shaikh Dudhara

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